हिस्टरी

मुगल और ब्रिटिश काल के दौरान कासगंज को 'तनय' या 'खसगंज' के नाम से भी जाना जाता था। 'इंपीरियल गैज़ेटियर ऑफ इंडिया वॉल्यूम के अनुसार विलियम विल्सन हंटर द्वारा एक्सवि '(1908) काजगंज जेम्स वी। गार्डनर (जो मराठों के काम में थे और बाद में ब्रिटिश सेवा में थे) के हाथों में आए और बाद में यहां का कासगंज में छावनी में निधन हो गया। जेम्स गार्डनर से पहले, उनके पिता कर्नल विलियम लिनिअस गार्डनर भी यहां तैनात थे। विलियम गार्डनर ने सेना से अवकाश ग्रहण करने के बाद कासगंज में अपनी संपत्ति का निर्माण किया और जुलाई 1835 में कासगंज में भी उनका निधन हो गया। विलियम और जेम्स गार्डनर, इंग्लैंड के बैरन गार्डनर की वंश से संबंधित थे। साक्ष्य यह है कि गार्डनर के बारनी के वारिस काजगंज के आसपास कहीं भी रह रहे हैं। प्रसिद्ध लेखक और इतिहासकार विलियम डॅलरिम्पल भी अपनी पुस्तक व्हाईट मुगल के लिए शोध करते हुए, जूलियन गार्डनर की अंग्रेजी खोज में उत्तराधिकारी की तलाश में कासगंज आए। इसके अलावा, फनी पार्क की किताब, अर्थात् पांडुलिपि की पंडितों की खोज में पांडुलिपि की भटकती किताब कास्गंज (तब खसगंज) के दौरे और शहर और गार्डनर परिवार के उनके बारे में जानकारी देते हैं।